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दुसाध तब और आज

दुसाध तब और आज

बात उस समय की है जब भारत में सैंधव सभ्यता थी, लोग सुखी और सप्पन थे विद्यालय और विश्वविद्यालय भी थे, वर्ण व्यवस्था और जाती-पाति का नामो निशान नहीं था भारत सोने की चिड़िया कहा जाता था, इसी समय विदेशी आर्य लुटेरे के घुसपैठ हुए, उनके पास मन को मोहने के रूप में विषकन्या और रम्भा,मेनका,उर्वशी जैस वैश्या थी, संगीत और नाच में निपुण स्वरस्वती ,लक्ष्मी,और दुगरा भी थी, इसी वजह से विदेश आर्य घुसपैठ में सफल रहे, कई राजा इनके दामाद बन गए, कुछ की हत्या हो गयी,
फिर आरम्भ हो गया देवासुर संग्राम, इतिहास इसे आर्य अनार्थ संघर्ष कहा, इस संघर्ष में रूप जल में फशे आदिवासी राजा विदेशी आर्य के सहायक हो गए, इसी करम में आर्य और शूरवीर द्रवड़ में खूब संघर्ष चला, धीर धीरे द्रविड़ सेना का मनोबल टूटता गया और एंड में वो आप हथियार डाल दिए 

~ गंगा प्रशाद गंगेश की पुस्तक से 

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आर्य और अनार्य संस्कृति

आर्य का अर्थ होता है -जो वयक्ति अपनी बात बिना तर्क -वितर्क किये ही मानने के लिए बाध्य क्र दे उसे आर्य कहते है, ऐसे लोग है -यूरेसियन लोग जो लुटेरे और घुम्मकड़ क्र रूप में आये थे और यही अस्थाई रूप से बस गए, ये यूरेसियन लोग ही आज के ब्राह्मण है ,इन्ही ब्राह्मणो के भाग्य और भगवन यज्ञ और कर्मकांड,देवी-देवता को मानने के लिए बाध्य किया, बुद्धि साहित्य में आर्य शब्द की उत्पत्ति खोजने पर जानकारी मिलती है की भारत के किसान अपने आपमें खेतो की पहचान के लिए आरी बनाते थे, आज भी बनाते है, आरी कहते है सीमा रेखा की, सिचाई के लिए बनाते है ठीक उस तरह यूरेसियन लोगो भी आरी बनाते ही, ठीक उसीतरह यूरेसियन लोगो ने हमें ६४२७ जातियों में बाँटकर ६४२७ आरी बना दिया| प्रत्येक जाती समूह को अपने ही सिमा रेखा में रहने की कड़ी चेतावनी दी गयी , इस चेतावनी को कानून की पुस्तक मनुस्मृति में लिख दिया, धार्मिक पुस्तकों गीता में लिख दिया, इसी के साथ "आरिए पर रहो" ऐसी चेतावनी के साथ लगातार हमारी पहरेदारी करता रहा|  एकाछेरी के आधार पर आर्य शब्द आ+र+य बना है, जो आ=आओ, र=रमन करो, य=यज्ञ का प्रतिक है ,आओ यज्ञ म...