दुसाध तब और आज बात उस समय की है जब भारत में सैंधव सभ्यता थी, लोग सुखी और सप्पन थे विद्यालय और विश्वविद्यालय भी थे, वर्ण व्यवस्था और जाती-पाति का नामो निशान नहीं था भारत सोने की चिड़िया कहा जाता था, इसी समय विदेशी आर्य लुटेरे के घुसपैठ हुए, उनके पास मन को मोहने के रूप में विषकन्या और रम्भा,मेनका,उर्वशी जैस वैश्या थी, संगीत और नाच में निपुण स्वरस्वती ,लक्ष्मी,और दुगरा भी थी, इसी वजह से विदेश आर्य घुसपैठ में सफल रहे, कई राजा इनके दामाद बन गए, कुछ की हत्या हो गयी, फिर आरम्भ हो गया देवासुर संग्राम, इतिहास इसे आर्य अनार्थ संघर्ष कहा, इस संघर्ष में रूप जल में फशे आदिवासी राजा विदेशी आर्य के सहायक हो गए, इसी करम में आर्य और शूरवीर द्रवड़ में खूब संघर्ष चला, धीर धीरे द्रविड़ सेना का मनोबल टूटता गया और एंड में वो आप हथियार डाल दिए ~ गंगा प्रशाद गंगेश की पुस्तक से लेख की अगली कड़ी मिटा दी गयी शूरमा द्रविड़ो की पहचान पढ़ने के लिए हमारा ब्लॉग लिखे कमेंट करे


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